माध्यमिक विद्यालयों में घटती छात्र संख्या, सरप्लस शिक्षक जाएंगे दूसरे स्कूलों में
उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति लगातार बदल रही है। निजी स्कूलों और कोचिंग संस्थानों के बढ़ते प्रभाव, नकल रोकने की सख्ती और शिक्षा सुविधाओं की कमी के कारण सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या तेजी से घट रही है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने यह तय किया है कि जहां विद्यार्थियों की संख्या अपेक्षा से कम है और वहां अतिरिक्त शिक्षक मौजूद हैं, उन शिक्षकों को दूसरे विद्यालयों में भेजा जाएगा।
क्यों उठाया गया यह कदम
जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या बेहद कम हो गई है, वहां शिक्षकों की अधिकता का कोई औचित्य नहीं बचता। दूसरी ओर, कई विद्यालय ऐसे भी हैं जहां पढ़ाई सुचारू रूप से चलाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। इस असमानता को दूर करने के लिए सरकार ने ‘सरप्लस शिक्षकों’ की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है।

प्रक्रिया कैसे होगी
जनपद स्तर पर अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के विद्यालयों का ब्यौरा तैयार करें और यह सूची शासन को भेजें। जिन शिक्षकों की जरूरत अन्य स्कूलों में ज्यादा है, उन्हें स्थानांतरित किया जाएगा। इस कदम से शिक्षण कार्य संतुलित होगा और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।
छात्रों के पलायन की वजह
पिछले कुछ वर्षों में सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या लगातार कम हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि निजी विद्यालय न केवल बेहतर सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं, बल्कि वहां परीक्षा और नकल की स्थिति भी छात्रों के लिए आसान मानी जाती है। वहीं, सरकारी स्कूलों में नकल रोकने की सख्ती के कारण कई छात्र प्राइवेट संस्थानों की ओर रुख कर लेते हैं।
शिक्षा व्यवस्था पर असर
छात्रों के पलायन का सीधा असर सरकारी विद्यालयों की छवि और शिक्षण व्यवस्था पर पड़ा है। कई स्थानों पर विद्यालय भवन तो मौजूद हैं, लेकिन वहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या बेहद कम है। ऐसे में वहां तैनात शिक्षकों की क्षमता का सही उपयोग नहीं हो पाता। सरप्लस शिक्षकों को अन्य स्कूलों में भेजने से यह असंतुलन काफी हद तक खत्म हो जाएगा।
शासन का निर्देश
सरकार ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि 22 अगस्त तक शिक्षकों का ब्योरा तैयार कर उपलब्ध कराएं। वहीं, जिन शिक्षकों को स्थानांतरित किया जाएगा, उनके नामों की सूची 29 अगस्त तक शासन को भेजी जाएगी।
निष्कर्ष
सरप्लस शिक्षकों को दूसरे विद्यालयों में भेजने का यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था को संतुलित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इससे उन स्कूलों को राहत मिलेगी जहां लंबे समय से शिक्षक कम हैं और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पाएगी।