आयकर रिटर्न ई-वेरिफिकेशन के बाद ही मिलेगा रिफंड – पूरी प्रक्रिया जानें
आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने के बाद अधिकांश लोग यह मान लेते हैं कि रिफंड अपने आप आ जाएगा। लेकिन सच्चाई यह है कि जब तक आपका रिटर्न ई-वेरिफाई नहीं होता, तब तक टैक्स विभाग रिफंड जारी नहीं करता। इसलिए यह समझना जरूरी है कि ई-वेरिफिकेशन क्या है, इसकी प्रक्रिया कैसे पूरी होती है और अगर देरी हो जाए तो किन कारणों से हो सकती है।
ई-वेरिफिकेशन क्यों जरूरी है
ITR फाइल करने के बाद ई-वेरिफिकेशन एक तरह का डिजिटल सर्टिफिकेशन होता है, जिससे आयकर विभाग को यह सुनिश्चित होता है कि रिटर्न आपने ही भरा है। यह प्रोसेस पूरी तरह ऑनलाइन है और इसे आधार OTP, नेटबैंकिंग, डीमैट अकाउंट या बैंक अकाउंट के जरिए पूरा किया जा सकता है।

रिफंड कब तक मिलता है
अगर आपने समय पर ITR फाइल कर दिया है और निर्धारित 30 दिनों के अंदर ई-वेरिफिकेशन भी कर दिया है, तो आमतौर पर रिफंड कुछ हफ्तों के भीतर आपके बैंक खाते में आ जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में विभाग को अतिरिक्त जांच करनी पड़ती है, जिससे समय बढ़ सकता है।
ई-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया
ITR का ई-वेरिफिकेशन करने के लिए सबसे पहले आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट www.incometax.gov.in पर लॉगिन करना होता है। वहां से ‘ई-वेरीफाई रिटर्न’ विकल्प चुनें और अपने लिए सुविधाजनक तरीका अपनाएं। यदि आधार कार्ड आपके मोबाइल नंबर से जुड़ा है तो OTP के जरिए वेरिफिकेशन आसान हो जाता है। सफलतापूर्वक वेरिफिकेशन होते ही आपका रिटर्न प्रोसेसिंग के लिए भेज दिया जाता है।
रिफंड में देरी के कारण
रिफंड में कई बार देरी हो सकती है। इसका सबसे आम कारण है गलत बैंक अकाउंट डिटेल दर्ज करना या रिटर्न का समय पर ई-वेरिफिकेशन न करना। इसके अलावा अगर विभाग को आपकी इनकम और खर्च से जुड़ी जानकारी में कोई असमानता लगती है तो अतिरिक्त जांच के कारण भी देरी हो सकती है।
ITR वेरिफिकेशन की समय सीमा
ITR-1 और ITR-4 फॉर्म भरने वाले करदाताओं के पास 30 दिन का समय होता है, जबकि ITR-2 और ITR-3 जैसे जटिल फॉर्म के मामलों में प्रोसेसिंग में ज्यादा समय लग सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप फाइल करने के तुरंत बाद ही वेरिफिकेशन पूरी करें।
रिफंड की स्थिति कैसे जांचें
एक बार ई-वेरिफिकेशन हो जाने के बाद आप आयकर विभाग की वेबसाइट या NSDL पोर्टल पर जाकर रिफंड की स्थिति चेक कर सकते हैं। वहां PAN और असेसमेंट ईयर डालने पर आपको पता चल जाएगा कि आपका रिफंड किस स्थिति में है।
विवाद की स्थिति में क्या करें
अगर आपको लगता है कि रिफंड की रकम कम आई है या बिल्कुल नहीं मिली, तो आप सबसे पहले आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाकर ‘Rectification Request’ दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा आप हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर सकते हैं या ईमेल के जरिए अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं।
निष्कर्ष
आयकर रिटर्न का ई-वेरिफिकेशन उतना ही जरूरी है जितना कि रिटर्न फाइल करना। अगर आप चाहते हैं कि रिफंड समय पर आपके खाते में आए तो रिटर्न फाइल करने के तुरंत बाद ई-वेरिफिकेशन कर लें। इससे न केवल प्रक्रिया तेज होगी बल्कि आपको किसी तरह की दिक्कत का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। हमेशा ध्यान रखें कि बैंक अकाउंट डिटेल सही दर्ज हों और आधार आपके मोबाइल से लिंक हो।