हजारों बच्चे हाईस्कूल तक नहीं पहुंच पाए: शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
बहराइच जिले से आई हाल की रिपोर्ट ने शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024-25 में कक्षा आठ पास करने वाले बच्चों में से बड़ी संख्या हाईस्कूल तक नहीं पहुंच पाई। अनुमान है कि लगभग 31,250 विद्यार्थी, जिनमें लड़कियों की संख्या अधिक है, कक्षा नौ में नामांकन से वंचित रह गए।
शिक्षा का अधूरा सपना
भारत में शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है और सरकार लगातार “सबके लिए शिक्षा” अभियान चला रही है। इसके बावजूद, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के बच्चों के सामने हाईस्कूल तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती बन गया है। बहराइच जिले के मिहीपुरवा, नवाबगंज और नानपारा ब्लॉक में ड्रॉपआउट दर सबसे ज्यादा दर्ज की गई है।
ड्रॉपआउट के प्रमुख कारण
स्थानीय स्तर पर की गई जांच से सामने आया कि बच्चों को पढ़ाई बीच में छोड़ने के लिए कई वजहें जिम्मेदार हैं।
पहला, कई गांवों से स्कूल काफी दूर स्थित हैं और छात्रों को जंगलों और सुनसान रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। खासकर लड़कियों के लिए यह सफर सुरक्षित नहीं माना जाता, इसलिए माता-पिता उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए नहीं भेजते।
दूसरा, आर्थिक तंगी भी बड़ी बाधा है। गरीब परिवारों के बच्चे जल्दी कामकाज में जुट जाते हैं ताकि परिवार की आय में मदद कर सकें।
तीसरा, परिवहन सुविधाओं का अभाव और अभिभावकों की अनदेखी भी शिक्षा छूटने की बड़ी वजह बन रही है।
शिक्षा विभाग की चिंता
जिलाधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए विशेष बैठक बुलाई और स्कूल प्रबंधन से कहा कि अधिक से अधिक बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया जाए। शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किए कि हर स्कूल ड्रॉपआउट छात्रों की सूची तैयार करे और उनके परिवार से संपर्क साधकर बच्चों को वापस पढ़ाई में लाने की कोशिश की जाए।
ग्रामीणों की पीड़ा
ग्राम पंचायतों में रहने वाले कई लोगों ने बताया कि बच्चों को हाईस्कूल तक भेजना उनके लिए कठिन है क्योंकि सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था नहीं है। लड़कियों के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार सुरक्षित बस सेवा या वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराए, तो बच्चों की पढ़ाई रुकने की समस्या काफी हद तक खत्म हो सकती है।
समाधान की राह
सरकार और शिक्षा विभाग को इस समस्या से निपटने के लिए बहुआयामी कदम उठाने होंगे।
एक ओर जहां दूरदराज के इलाकों में नए स्कूलों की स्थापना जरूरी है, वहीं दूसरी ओर सुरक्षित परिवहन व्यवस्था पर भी ध्यान देना होगा। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को छात्रवृत्ति और सहायता योजनाओं से जोड़ा जाए ताकि बच्चों को मजबूरी में पढ़ाई छोड़नी न पड़े। साथ ही, अभिभावकों को जागरूक करना भी आवश्यक है कि शिक्षा बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी है।
निष्कर्ष
हजारों बच्चे हाईस्कूल तक नहीं पहुंच पाए, यह सिर्फ एक जिले की तस्वीर नहीं बल्कि देशभर की शिक्षा व्यवस्था के लिए चेतावनी है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो “सबको शिक्षा” का सपना अधूरा रह जाएगा। बच्चों की शिक्षा केवल उनका अधिकार ही नहीं बल्कि देश की प्रगति की नींव भी है। इसलिए सरकार, समाज और अभिभावकों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी बच्चा हाईस्कूल तक पहुंचने से वंचित न रहे।
